
क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान का शरीर हर समय 37°C तापमान क्यों बनाए रखता है? ऐसा भी तो हो सकता था कि हमें कम ऊर्जा में चलने वाला सिस्टम मिलता? लेकिन नहीं, प्रकृति ने हमारे लिए ये “तापमान की सेटिंग” तय की — और इसके पीछे है विज्ञान की एक बड़ी वजह।
क्यों 37°C जरूरी है हमारे लिए?
हमारा शरीर वार्म-ब्लडेड है यानी चाहे बाहर बर्फबारी हो या तपती धूप, शरीर को हमेशा 37°C बनाए रखना होता है। ये सुनने में आसान लगता है, पर हकीकत में इसके लिए हमें हर दिन ऊर्जा (यानि खाना) की जबरदस्त जरूरत पड़ती है।
प्राचीन काल में जब जोमैटो-स्विगी जैसी सुविधाएं नहीं थीं, तब भी हमारे पूर्वजों को इसी तापमान को बनाए रखने के लिए हर वक्त खाने की तलाश में रहना पड़ता था। ये ज़रूरी था, क्योंकि इसी तापमान पर शरीर सबसे अधिक वायरस, फंगी और बैक्टीरिया से खुद को बचा सकता है।
अगर कोई बैक्टीरिया फिर भी हावी हो जाए, तो शरीर अपना तापमान बढ़ा देता है — इसे हम बुखार कहते हैं। यानी तापमान हमारे शरीर का पहला डिफेंस सिस्टम है।
तो फिर 45 डिग्री में हम ज़िंदा कैसे रहते हैं?
ये बड़ा दिलचस्प सवाल है। अगर शरीर 37°C से ऊपर नहीं सह सकता, तो दिल्ली जैसी जगहों पर 45°C में लोग कैसे बचते हैं?
असल में, जो तापमान मौसम ऐप में दिखता है, वो Dry Temperature होता है। लेकिन शरीर जिस तापमान को महसूस करता है, उसे कहते हैं — Wet Bulb Temperature (WBT)। ये तापमान हवा में नमी और ताप दोनों को मिलाकर नापा जाता है।
Wet Bulb Temperature के मायने:
• 🌿 25°C या नीचे: सब अच्छा है।
• 🌡️ 26°C – 31°C: खतरे की घंटी, लेकिन बचे रह सकते हैं।
• 🔥 31°C से ऊपर: खतरा बढ़ता जाता है।
• ☠️ 35°C से ऊपर: शरीर पसीने से भी ठंडा नहीं रह सकता — जान का खतरा।
जून 2025 में दिल्ली का वेट बल्ब तापमान 30-31°C के बीच मापा गया है — यानी हम रेड जोन की दहलीज पर हैं।
बढ़ती गर्मी का असली कारण क्या है?
गर्मी बढ़ने की कई वजहें हैं, लेकिन कुछ प्रमुख कारण हमारे ही बनाए हुए हैं:
1. AC का अत्यधिक इस्तेमाल
हर घर में 2-4 AC होना आम हो गया है। ये कमरे को ठंडा करता है, लेकिन बाहर की गर्मी और बढ़ा देता है।
2. पेड़ों की कटाई और शहरीकरण
हर पेड़ जो कटा, वो एक एयर कंडीशनर ही कम हुआ।
3. पॉल्यूशन और जुगाली करने वाले जानवर
गाय, भैंस, बकरी जैसे जानवर जब खाना पचाते हैं तो मीथेन गैस छोड़ते हैं। मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड से 25 गुना ज़्यादा गर्मी रोकने में सक्षम होती है।
और चौंकाने वाली बात यह है कि दुनियाभर में इन जानवरों की 90% आबादी मांस उद्योग की वजह से है।
क्या हमारा भारत रहने लायक रहेगा?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले 50-70 सालों में, भूमध्य रेखा से 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण के बीच का इलाका — जिसमें भारत भी आता है — इंसानी जीवन के लिए घातक बन सकता है।
यानि अगर अभी कुछ नहीं बदला, तो हमारे आने वाले वंशजों के लिए ये धरती रहने लायक नहीं रहेगी।
तो समाधान क्या है?
• 🌳 पेड़ लगाएं, न कि काटें।
• ❄️ AC के बजाय प्राकृतिक ठंडक को बढ़ावा दें।
• 🥗 शाकाहारी भोजन को बढ़ावा दें — मांस उद्योग पर निर्भरता घटाएं।
• 🔌 ग्रीन एनर्जी जैसे सोलर और विंड पावर को अपनाएं।
• 📢 लोगों को जागरूक करें — यह जंग अकेले नहीं जीती जा सकती।
अंत में…
हमारा शरीर हमें हर दिन इशारा करता है — “मैं बहुत ज्यादा गर्मी नहीं झेल सकता।”
Wet Bulb Temperature इस बात का वैज्ञानिक सबूत है।
अगर हमने आज बदलाव नहीं किया, तो कल बहुत देर हो जाएगी।
आज से ही सोचें, समझें और कदम उठाएं। क्योंकि हमारा आज, हमारे बच्चों का कल तय करेगा।
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