
भारतीय वायुसेना के मिग-29 फाइटर जेट का जामनगर एयरबेस पर आपातकालीन लैंडिंग करते हुए एक सांकेतिक चित्र। PC: AI
मिग-29 पायलट अजीत वसाने: जब जलता हुआ आसमान बन गया इम्तिहान
10 अक्टूबर 2011, दोपहर 3:30 बजे।
जामनगर एयर फोर्स बेस से उठते दो मिग-29 फाइटर जेट, हवा में 30,000 फीट की ऊँचाई पर… और एक ऐसा मिशन जिसकी असलियत किसी युद्ध से कम नहीं थी।
स्क्वाड्रन लीडर अजीत भास्कर वसाने और उनके विंगमैन स्क्वाड्रन लीडर रोहित सिंह एक सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिशन की प्रैक्टिस कर रहे थे। वो मिशन, जो असल युद्ध में दुश्मन के विमान को भारतीय सीमा में घुसने से पहले ही ध्वस्त कर देता है।
लेकिन उस दिन, आसमान में कुछ ऐसा हुआ जिसने इस अभ्यास को जीवन-मृत्यु के संघर्ष में बदल दिया।
मिग-29 फाइटर जेट: भारतीय वायुसेना की स्टील की दीवार
मिग-29, रशियन टेक्नोलॉजी का बेजोड़ नमूना, भारतीय वायुसेना की रीढ़ था। दो इंजन वाला यह मल्टीरोल जेट 2,400किमी प्रति घंटा की रफ्तार से लम्हों में हर खतरे का जवाब देने के लिए बना था। 1987 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-29 हवा में डॉगफाइट, इंटरसेप्शन और जमीन पर अटैक के लिए भारत की पहली पसंद था।
जलता हुआ कॉकपिट और मौत का साया
उड़ान के दौरान अचानक अजीत के मिग-29 का इंस्ट्रुमेंट पैनल ब्लैंक हो गया। यह वही पैनल था जो विमान की गति, ऊँचाई और दिशा की जानकारी देता है। पैनल के साथ-साथ कॉकपिट में आग भी लग चुकी थी।
स्थिति गंभीर थी –
• विमान में 4,000 लीटर ईंधन था।
• विमान रनवे से 85 किलोमीटर दूर था।
• कॉकपिट धुएँ से भर चुका था।
• सामने की विंडशील्ड पर राख जम चुकी थी।
• पायलट को लगभग कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
कंट्रोल टॉवर ने आदेश दिया – “आप इजेक्ट कर सकते हैं।”
लेकिन अजीत ने इनकार कर दिया।
जामनगर एयर फोर्स बेस और रिलायंस रिफाइनरी
जामनगर एयर फोर्स स्टेशन भारतीय वायु सेना का एक महत्वपूर्ण बेस है, जो रणनीतिक रूप से पाकिस्तान की सीमा के नजदीक है। यहाँ से 1965, 1971 और करगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना ने दुश्मन की कमर तोड़ने वाले ऐतिहासिक ऑपरेशन किए हैं। एयरस्पेस सुरक्षा की भूमिका यहां के पायलट हमेशा निभाते रहे हैं, लेकिन पास ही है रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की जामनगर रिफाइनरी। दुनिया की सबसे बड़ी तेल शोधक यूनिट। इसी वजह से इस क्षेत्र की रक्षा और भी संवेदनशील हो जाती है।
खतरे के बीच अंतिम 9 मिनट
अगर अजीत हवा में इजेक्ट करते, तो उनका जलता हुआ विमान एक मिसाइल की तरह सीधे इस रिफाइनरी से टकराता, जिससे अकल्पनीय विनाश होता। इसलिए, उन्होंने मौत से आँख मिलाते हुए फैसला लिया—
“विमान मैं ही उतारूँगा, चाहे जो हो।”
उनका विंगमैन, रोहित सिंह, विमान के ऊपर उड़ते हुए उन्हें वॉइस गाइड कर रहे थे।
10,000 फीट पर उतरते हुए अजीत ने तेलशोधक कारखाने को पूरी तरह बायपास किया, जबकि यह सबसे छोटा रास्ता था।
जोखिम यह था
अगर इंजन फेल हो जाता, तो कोई वॉर्निंग नहीं मिलती, और विमान सीधे नीचे गिर जाता।
लैंडिंग का चमत्कार
विंगमैन रोहित सिंह ने अपने अनुभव और ट्रेनिंग के दम पर, धुएं और राख के बीच अजीत के मिग-29 को बेस के रनवे तक गाइड किया। जब बेस करीब था, तभी अजीत को एक छोटे से साफ हिस्से से रनवे दिखाई दिया। उन्होंने स्पीड 280 किमी/घंटा रखी और सटीक लैंडिंग की।
जहाज के बाहर से दिशा-निर्देश देना और बेहद कम दृश्यता में सही रनवे पर लैंड कराना, दोनों ही पायलट के लिए परीक्षा से कम नहीं था। यह लम्हा साबित करता है कि एयरफोर्स केवल जहाजों या हथियारों की ताकत नहीं, बल्कि टीमवर्क और एक-दूसरे पर भरोसे की कहानी भी है।
एयर फोर्स ने विमान की जाँच की—
• विमान बुरी तरह क्षतिग्रस्त था
• इसे अनसर्विसेबल घोषित कर दिया गया
• लेकिन एक शहर और करोड़ों डॉलर की संपत्ति बच गई
पाकिस्तान की हालिया धमकी और जामनगर का जवाब
आज यह घटना इसलिए और महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अमेरिका में यह कहकर धमकी दी कि वह रिलायंस के तेलशोधक कारखाने को उड़ा देगा।
लेकिन वह शायद भूल रहे हैं—
जामनगर में ऐसे पायलट हैं जो जलते हुए विमान से भी इजेक्ट नहीं करते, सिर्फ इसलिए कि उनके कारण देश की संपत्ति और नागरिक खतरे में न पड़ें।
निष्कर्ष: बहादुरी की असली परिभाषा
स्क्वाड्रन लीडर अजीत भास्कर वसाने की यह घटना हमें याद दिलाती है कि राष्ट्र की सुरक्षा सिर्फ युद्ध जीतने में नहीं, बल्कि सही समय पर सही निर्णय लेने में है।
यह कहानी सिर्फ वायुसेना के इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत की वीरता का जीवंत प्रमाण है।