
ऑपरेशन सिंदूर की रहस्यमयी कहानी। चित्र साभार: सोशल मीडिया
जब आसमान में जंग छिड़ी थी, ज़मीन पर सन्नाटा था…
ऑपरेशन सिंदूर, भारत की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई के जवाब में, पाकिस्तान ने भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर लगभग 1000 मिसाइलों और आर्म्ड ड्रोन से हमला किया। लेकिन हैरानी की बात ये नहीं है कि हमला हुआ, हैरानी ये है कि वो हमला विफल रहा।
9 मई की रात, भारत के नागरिक चैन से सो रहे थे, unaware थे कि एक ऐसा हमला होने वाला है जिसे रोकना किसी चमत्कार से कम नहीं था। यह कोई आम आतंकी कार्रवाई नहीं थी, यह एक सुनियोजित, क्रूर और लंबी दूरी से हुआ सैन्य हमला था, जिसे अंजाम देने वाला था पाकिस्तान।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की पहली चाल और पाकिस्तान की घबराहट
ऑपरेशन सिंदूर एक साहसिक कार्रवाई थी, जिसे भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किया। इस ऑपरेशन की प्रकृति गोपनीय थी, लेकिन इसके परिणाम इतने प्रभावशाली रहे कि पाकिस्तान ने तुरंत प्रतिक्रिया देने का मन बना लिया।
प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सेना को पूरी स्वतंत्रता दे दी गई थी—“कब, कहां, कैसे और किस प्रकार से कार्रवाई करनी है, यह सेना तय करेगी।” यही आत्मनिर्भरता भारतीय प्रतिक्रिया की नींव बनी।
पाकिस्तान का भीषण प्रतिउत्तर: एक अदृश्य मिसाइल युद्ध
1000 मिसाइलें, लक्ष्य भारतीय एयरबेस और मिलिट्री कैंट
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि 9 मई को पाकिस्तान ने भारत के वायुसेना अड्डों, सैन्य हथियारों के गोदाम, हवाई अड्डों और मिलिट्री कैंट को निशाना बनाते हुए एक संगठित हमला किया।
उन्होंने ड्रोन्स, मिसाइल, रॉकेट्स और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक का सहारा लिया, ताकि भारतीय रक्षा प्रणाली को भ्रमित किया जा सके।
लेकिन भारत तैयार था, हर हमले का जवाब था आसमान में ही
भारतीय वायु रक्षा प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर टेक्नोलॉजी ने एक के बाद एक 1000 हमलावर हथियारों को हवा में ही नष्ट कर दिया। कोई भी मिसाइल या ड्रोन अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया।
“हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोंस को तिनके की तरह बिखेर दिया,” प्रधानमंत्री ने संसद में कहा।
अमेरिका की चेतावनी और भारत का सधा हुआ रुख
अमेरिका ने दी थी चेतावनी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में खुलासा किया कि अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने हमले से कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर पाकिस्तान के इरादों की जानकारी दी।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया:
“अगर हमला हुआ, तो भारत चुप नहीं बैठेगा। जवाब विनाशकारी होगा।”
और वह जवाब दिया गया। पाकिस्तान की सैन्य ठिकानों की सैटेलाइट तस्वीरें आज पूरी दुनिया देख रही है। उन तस्वीरों में काली राख में बदल चुकी पाकिस्तान की हवाई संपत्तियां हैं।
युद्ध में नुकसान स्वाभाविक है, लेकिन जीवन अनमोल है
सेना ने अपनी रणनीति खुद बनाई और सटीकता से लागू की। हालांकि इस पूरी कार्रवाई में कुछ भारतीय हथियारों का भी नुकसान हुआ, लेकिन जैसा प्रधानमंत्री ने कहा “हथियार दशहरे में पूजा के लिए नहीं खरीदे जाते, वे युद्ध के लिए होते हैं।”
भारत आज एक ऐसा राष्ट्र है जो कुछ हथियारों की क्षति की भरपाई कर सकता है, लेकिन अपने सैनिकों के जीवन की नहीं।
विश्लेषण: यह सिर्फ सैन्य विजय नहीं थी, यह टेक्नोलॉजी की जीत थी
• इस पूरे संघर्ष में एक बात स्पष्ट हुई की भारत अब टेक्नोलॉजी, खुफिया जानकारी और रणनीतिक जवाब देने में आत्मनिर्भर है।
• इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, ड्रोन्स, एयर डिफेंस सिस्टम, और साइबर डिफेंस… ये सिर्फ शब्द नहीं हैं, यह हमारी नई रक्षात्मक पहचान हैं।
निष्कर्ष: एक चुपचाप लड़ा गया युद्ध और उसका गर्व
9 मई को लड़ा गया युद्ध इतिहास की किताबों में शायद “घोषित युद्ध” की श्रेणी में न जाए, लेकिन यह भारत की सैन्य शक्ति, टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता और राजनीतिक परिपक्वता का प्रतीक अवश्य है।
जब दुश्मन ने 1000 मिसाइलें भेजीं, भारत ने उन्हें हवा में राख बना दिया।
जब चेतावनी मिली, भारत ने उसे गंभीरता से लिया।
और जब जवाब देने की बारी आई, भारत ने ऐसा जवाब दिया जिसे पूरी दुनिया ने सैटेलाइट तस्वीरो से देखा।
यह सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर का जवाब नहीं था, यह भारत की चेतावनी थी की “हमें कमजोर मत समझो।”