
बॉलीवुड की चमक-दमक में हम अक्सर सितारों को उनके ग्लैमर और स्टारडम से पहचानते हैं। पर कभी-कभी पर्दे के पीछे कुछ ऐसे पल होते हैं जो हमें बताते हैं कि ये सितारे भी बेहद संवेदनशील, पढ़े-लिखे और गहराई वाले इंसान होते हैं। एक ऐसा ही किस्सा हाल ही में दिग्गज अभिनेता अमोल पालेकर ने साझा किया — जिसमें मुख्य किरदार थीं हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक एक्ट्रेस परवीन बाबी।
📽️ जब परवीन बाबी ने शूटिंग रोक दी… और सब चौंक गए
कुछ हफ़्ते पहले अमोल पालेकर ने इंडिया टुडे ग्रुप के साहित्य तक कार्यक्रम में पत्रकार श्वेता सिंह से बातचीत के दौरान एक बेहद दिलचस्प किस्सा बताया, जो न सिर्फ परवीन बाबी के एक अनदेखे पक्ष को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि थिएटर और साहित्य का प्रभाव फिल्मी दुनिया के ग्लैमर से कहीं गहरा होता है।
अमोल पालेकर ने बताया कि एक बार थिएटर की दुनिया के मशहूर नाटककार बादल सरकार मुंबई आए और उन्होंने अमोल से एक इच्छा जताई — “मैंने आज तक कोई शूटिंग नहीं देखी है, एक बार शूटिंग देखना चाहता हूं।”
अमोल उन्हें फिल्म सिटी ले गए, जहां बी.आर. चोपड़ा की मेगाबजट फिल्म “द बर्निंग ट्रेन” की शूटिंग चल रही थी।
👣 परवीन बाबी ने दौड़कर छुए पैर – और सब रह गए हैरान
सेट पर पहुंचते ही अमोल पालेकर और बादल सरकार को देखकर परवीन बाबी फौरन अपनी कुर्सी से उठीं, और लगभग दौड़ते हुए आकर बादल सरकार के पैर छू लिए। ये देखकर अमोल पालेकर चौंक गए। उन्हें अंदाज़ा ही नहीं था कि बॉलीवुड की सबसे ग्लैमरस और चर्चित अदाकारा परवीन बाबी, थिएटर की एक सादा हस्ती बादल सरकार को जानती भी होंगी।
जब अमोल ने हैरानी ज़ाहिर की तो बादल सरकार मुस्कुराए और बताया कि परवीन बाबी उनके क्लासिक नाटक “एवं इंद्रजीत” में अभिनय कर चुकी हैं। इस नाटक में काम करना, परवीन के लिए सिर्फ अभिनय नहीं, एक गहरा अनुभव रहा था।
🎭 दो घंटे तक रूकी शूटिंग, सिर्फ थिएटर की बातों के लिए
अमोल पालेकर ने आगे बताया कि उस दिन परवीन बाबी ने खुद शूटिंग दो घंटे तक रोक दी, और पूरा समय बादल सरकार के साथ थिएटर, साहित्य और उनके नाटकों पर चर्चा करते हुए बिताया। परवीन बाबी का यह रूप आज भी बहुत से लोगों को नहीं पता।
उन्होंने बड़े दिल से, बेहद श्रद्धा और रुचि से बात की — और यह स्पष्ट था कि परवीन बाबी सिर्फ एक सुंदर चेहरा नहीं थीं। वो एक पढ़ी-लिखी, थिएटर में प्रशिक्षित और साहित्य से जुड़ी हुई कलाकार थीं।
🎬 जब अमोल और परवीन साथ आए पर्दे पर
इस मुलाकात के कुछ साल बाद, 1983 में, अमोल पालेकर और परवीन बाबी ने साथ काम किया फिल्म ‘रंग-बिरंगी’ में। इस फिल्म को डायरेक्ट किया था हिंदी सिनेमा के सबसे समझदार और संवेदनशील निर्देशकों में गिने जाने वाले ऋषिकेश मुखर्जी ने।
✍️ परवीन बाबी: ग्लैमर के पीछे की गहराई
इस पूरे किस्से से एक बात साफ़ होती है — परवीन बाबी सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं थीं, बल्कि एक गहरे विचारों वाली, कला-संस्कृति में डूबी कलाकार भी थीं। उनके बारे में आम धारणा यही रही है कि वो फैशन आइकन थीं, एक ग्लैमरस दिवा थीं। लेकिन अमोल पालेकर की ये कहानी उनके ‘बौद्धिक पक्ष’ और ‘संवेदनशील कलाकार’ को सामने लाती है।
📌 निष्कर्ष
यह किस्सा एक शानदार उदाहरण है कि कैसे ग्लैमर की दुनिया के पीछे भी एक विचारशील और कला से जुड़ा इंसान होता है। परवीन बाबी जैसी शख्सियतों की यही परतें उन्हें हमेशा के लिए यादगार बनाती हैं।
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