
जब 2020 में भारत सरकार ने PLI (Production Linked Incentive) Scheme लॉन्च की थी, तब तमाम आलोचकों ने इसे एक और “जुमला” कहकर खारिज कर दिया था। कुछ ने कहा ये सिर्फ दिखावा है, तो कुछ ने इसे एक असफल प्रयोग करार दे दिया। लेकिन पांच साल बाद, हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है।
क्या है PLI स्कीम?
PLI स्कीम, यानी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, का मुख्य उद्देश्य भारत को विश्वस्तरीय मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है। यह योजना कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने पर सरकार की ओर से आर्थिक प्रोत्साहन देती है — जितना उत्पादन, उतना प्रोत्साहन।
सिर्फ 5 साल में जबरदस्त बदलाव
2014 में भारत मैन्युफैक्चरिंग के मामले में दुनिया में नौवें स्थान पर था। लेकिन PLI स्कीम के असर से 2024 आते-आते हम पांचवें स्थान पर पहुँच गए हैं। और अगर रफ्तार ऐसी ही बनी रही, तो अगले 3-4 साल में जर्मनी और जापान को भी पीछे छोड़ सकते हैं।
प्रमुख आंकड़े:
• 💰 ₹1.76 लाख करोड़ का निवेश आया है PLI स्कीम के तहत
• 🏭 ₹16.5 लाख करोड़ का उत्पादन और बिक्री हो चुकी है
• 👷♂️ 12 लाख से अधिक डायरेक्ट नौकरियाँ बनीं
• 👨👩👧👦 लगभग 25 लाख परिवारों को मिला लाभ, सीधे या परोक्ष रूप से
किन-किन क्षेत्रों में लागू है PLI?
आज PLI स्कीम 14 प्रमुख सेक्टर्स में लागू है, जिनमें शामिल हैं:
• इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग
• ऑटो और ऑटो कंपोनेंट्स
• फार्मास्यूटिकल्स
• टेलीकॉम
• सोलर मॉड्यूल
• टेक्सटाइल
• मेडिकल डिवाइसेज़
• और कई अन्य
यह न सिर्फ बड़े उद्योगों को, बल्कि छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs) को भी प्रोत्साहन दे रहा है।
निवेश बनाम घोटाला – समय कैसे बदलता है!
10-12 साल पहले ₹1.76 लाख करोड़ का जिक्र होता था तो लोग घोटाले और भ्रष्टाचार की बातें करते थे। आज वही रकम देश में निवेश बनकर आ रही है। नौकरियाँ पैदा हो रही हैं, उत्पादन बढ़ रहा है, और भारत ‘मेक इन इंडिया’ के विज़न की ओर मजबूती से बढ़ रहा है।
ये तो बस शुरुआत है…
PLI स्कीम की सफलता यह साबित करती है कि सही नीति, सही समय और मजबूत नेतृत्व मिल जाए, तो भारत दुनिया की किसी भी मैन्युफैक्चरिंग ताक़त को टक्कर दे सकता है। आने वाले सालों में जैसे-जैसे और कंपनियाँ जुड़ेंगी, “मेक इन इंडिया” से “मेड इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड” का सफर तेज़ होता जाएगा।