
क्या आपने कभी सोचा है कि जो तारे, ग्रह, या चमकदार आकाशीय पिंड हम दूरबीनों से देखते हैं — वो वाकई अभी अस्तित्व में हैं? ब्रह्मांड की विशालता में एक रहस्यमय और चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि जो हम देख रहे हैं, वह वर्तमान नहीं, बल्कि “भूतकाल” है। और इस अवधारणा को सबसे शानदार तरीके से दर्शाते हैं — क्वेजार (Quasars)।
ब्लैकहोल और उसका ‘इवेंट होराइजन’: कहां से शुरू होती है यह कहानी?
ब्लैकहोल, यानी एक ऐसा खगोलीय पिंड जो इतना घना होता है कि उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से प्रकाश भी नहीं बच सकता। यह तब बनता है जब कोई विशाल सितारा अपने जीवन के अंत में ग्रैविटी के दबाव से खुद में ही धँस जाता है — एक कोलैप्स।
ब्लैकहोल की एक सीमा होती है जिसे “इवेंट होराइजन (Event Horizon)” कहा जाता है। यह वो बिंदु है जिसके भीतर से कुछ भी बाहर नहीं आ सकता — न समय, न पदार्थ, और न ही रोशनी।
क्या है अक्रीशन डिस्क (Accretion Disc)? क्वेजार की शुरुआत यहीं से होती है
ब्लैकहोल में गिरने से पहले गैस, धूल और अन्य खगोलीय मलबा उसकी परिक्रमा करता है, लगभग प्रकाश की गति से। इस तीव्र गति और घर्षण से ब्लैकहोल के चारों ओर एक चमकती हुई डिस्क बनती है जिसे अक्रीशन डिस्क कहते हैं।
यह डिस्क इतनी तेजस्वी और ऊर्जा-समृद्ध होती है कि इसकी चमक सैकड़ों आकाशगंगाओं की कुल रोशनी से भी ज़्यादा हो सकती है। और जब यह स्थिति चरम पर होती है, तो उसे कहा जाता है — क्वेजार (Quasar)।
क्वेजार क्या है? (What is a Quasar in Hindi?)
क्वेजार वास्तव में एक ऐसा सुपरमैसिव ब्लैकहोल होता है जो अत्यधिक मात्रा में पदार्थ निगल रहा होता है और इस प्रक्रिया में इतनी ऊर्जा उत्सर्जित करता है कि वह एक पूरे ब्रह्मांडीय शो जैसा लगता है।
एक औसत क्वेजार की चमक 10 अरब सूर्यों के बराबर होती है! इतना शक्तिशाली बनने के लिए, इसे हर दिन हमारी 150 से 1500 पृथ्वियों जितना द्रव्यमान निगलना पड़ता है।
क्या हमारी आकाशगंगा में क्वेजार है?
हमारी मिल्की वे गैलेक्सी के केंद्र में भी एक सुपरमैसिव ब्लैकहोल है, पर वह क्वेजार नहीं है। क्यों?
क्योंकि आज का ब्रह्मांड पहले जैसा घना नहीं रहा। क्वेजार बनने के लिए जिस उच्च डेंसिटी वाले वातावरण की जरूरत होती है, वह अब उपलब्ध नहीं है। हमारी गैलेक्सी के केंद्र का ब्लैकहोल अपेक्षाकृत शांत है और उसकी ऊर्जा उत्सर्जन क्षमता सिर्फ 100-150 सूर्यों के बराबर है।
आज के ब्रह्मांड में क्वेजार कहां हैं?
अब सवाल उठता है कि — अगर क्वेजार इतने शक्तिशाली हैं, तो हमारे आसपास क्यों नहीं दिखते?
🔹 हमारे सबसे नजदीकी क्वेजार की दूरी भी लगभग 60 करोड़ प्रकाशवर्ष है।
🔹 खोजे गए सभी क्वेजारों में 99% क्वेजार हमसे अरबों प्रकाशवर्ष दूर हैं।
➤ इसका कारण?
क्वेजार मुख्य रूप से ब्रह्मांड के शुरुआती दौर में बनते थे — जब ब्रह्मांड छोटा, घना और पदार्थों से भरपूर था। आज का ब्रह्मांड फैलते-फैलते बहुत “डायल्यूट” हो चुका है। और चूंकि एक क्वेजार की औसत उम्र सिर्फ कुछ लाख वर्ष होती है, इसलिए अब वे लगभग सभी मर चुके हैं। हम जो कुछ देखते हैं, वह केवल उनका प्रकाश है जो अरबों साल पुराना है — यानी “प्रेत-ज्योति”।
क्वेजार से मिलती है एक दार्शनिक सीख: क्या “अतीत” ही हमारा “वर्तमान” है?
जब आप दूरबीन से किसी क्वेजार को देखते हैं, तो आप उसकी मृत्यु के बहुत समय बाद की रौशनी देख रहे होते हैं।
इससे एक गहरी बात निकलती है:
ब्रह्मांड में “भूत”, “भविष्य” और “वर्तमान” एक साथ मौजूद हैं। मनुष्य सिर्फ “वर्तमान” की खिड़की से इस निरंतर कालयात्रा को देख सकता है।
निष्कर्ष: क्वेजार केवल खगोल नहीं, चेतना की खिड़की हैं
क्वेजार केवल एक खगोल-शास्त्रीय संरचना नहीं हैं। वे एक झलक हैं उस ब्रह्मांड की, जो अब नहीं है — पर जिसकी रोशनी आज भी हमें छू रही है। वे हमें सिखाते हैं कि हम जो देख रहे हैं, जरूरी नहीं कि वह “अभी” है। यह हमें ब्रह्मांड की समय-सीमा के पार सोचने की प्रेरणा देता है।
सुझाव: क्यों पढ़ें और साझा करें यह लेख?
यह लेख सिर्फ विज्ञान नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की चेतना को समझने का प्रयास है। यदि आप ब्लैकहोल क्या होता है, क्वेजार क्या होता है, और ब्रह्मांड की समय-यात्रा जैसे विषयों में रुचि रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए एक अमूल्य स्रोत है।
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