
एक पिल्ले को बचाने की कीमत – जान की बलि
हाल ही में एक राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी की दिल दहला देने वाली मौत की खबर ने सभी को झकझोर दिया। उन्होंने एक पिल्ले को डूबने से बचाया, लेकिन उसके दांत की मामूली सी खरोंच उनकी उंगली पर लग गई। कुछ ही दिनों में वे सनसनाहट, गले में रुकावट और फिर लकवे का शिकार होकर इस दुनिया से विदा हो गए। यह एक क्लासिक रेबीज केस था – एक ऐसी बीमारी, जिसका एक बार लक्षण दिखने पर कोई इलाज संभव नहीं है।
क्या आप जानते हैं?
भारत में हर साल 18,000 से अधिक लोग रेबीज से मरते हैं, और इनमें से अधिकांश मौतें रोकी जा सकती हैं – बशर्ते समय रहते सही कदम उठाए जाएं।
रेबीज क्या है?
रेबीज (Rabies) एक वायरल संक्रमण है, जो Lyssavirus नामक वायरस के कारण होता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों – विशेष रूप से कुत्तों, बिल्ली, गीदड़, लोमड़ी, चमगादड़ आदि की लार में पाया जाता है। काटने या खरोंच मारने से यह वायरस शरीर में प्रवेश करता है और सीधे मस्तिष्क तक पहुँच जाता है।
❗ भारत में 95% रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से होते हैं।
वायरस शरीर में कैसे फैलता है?
रेबीज वायरस खून में नहीं जाता, बल्कि तंत्रिकाओं (nerves) के जरिए मस्तिष्क तक पहुँचता है।
• हाथ-पैर पर काटने से लक्षण आने में 20-60 दिन लग सकते हैं
• लेकिन चेहरे या गर्दन पर काटे जाने से सिर्फ 4-7 दिन में बीमारी शुरू हो सकती है
⚠️ रेबीज के लक्षण क्या हैं?
🔹 प्रारंभिक लक्षण:
• बुखार
• थकावट
• काटे गए स्थान पर जलन, सनसनाहट, खुजली
🔹 उग्र लक्षण (Furious Rabies):
• पानी से डर (Hydrophobia)
• हवा और रोशनी से डर
• भ्रम, चिल्लाना
• अत्यधिक लार बनना
• मांसपेशियों में कमजोरी
• लकवा और अंततः मृत्यु
❌ एक बार लक्षण आ गए तो कोई इलाज संभव नहीं है
बचाव कैसे करें? – रेबीज से सुरक्षा के उपाय
1️⃣ सबसे पहले घाव को धोना – 15 मिनट तक
• बहते पानी में साबुन से 15-20 मिनट तक घाव को धोएं
• यह वायरस को काफी हद तक बाहर निकाल सकता है
2️⃣ एंटीसेप्टिक लगाएं, पट्टी न करें
• Povidone iodine जैसे एंटीसेप्टिक का प्रयोग करें
• घाव को खुला रखें, जलाएं नहीं
• कोई घरेलू टोटका न करें
3️⃣ टेटनस और एंटीबायोटिक
• डॉक्टर की सलाह से TT इंजेक्शन और जरूरत हो तो एंटीबायोटिक
4️⃣ रेबीज वैक्सीन (Post-Exposure Prophylaxis – PEP)
• 0, 3, 7, 14 और 28 दिन पर 5 डोज़ (IM शेड्यूल)
• या 0, 3, 7, 28 दिन पर 4 डोज़ (ID शेड्यूल)
• जितनी जल्दी शुरू करें, उतना बेहतर
5️⃣ RIG – Rabies Immunoglobulin
• Category III घाव (जहां खून निकला हो) के लिए जरूरी
• पहली डोज के साथ ही लगवाएं या 7 दिन के भीतर
WHO द्वारा घाव की श्रेणियाँ (Rabies Exposure Categories)
श्रेणी – विवरण – क्या करें?
Category I – छूना या चाटना – त्वचा सुरक्षित – कोई वैक्सीन नहीं
Category II – खरोंच, बिना खून – रेबीज वैक्सीन जरूरी
Category III – काटना, खून निकलना – वैक्सीन + RIG जरूरी
🚫 गलत धारणाएं जो जानलेवा हो सकती हैं
• “अगर खून नहीं निकला तो कोई खतरा नहीं” – ❌ गलत
• “पालतू कुत्ते के काटने से कुछ नहीं होता” – ❌ गलत
• “झाड़-फूंक से ठीक हो जाएगा” – ❌ अंधविश्वास
• “रेबीज वैक्सीन से कमजोरी होती है” – ❌ गलत सूचना
👉 हर काटने को गंभीर मानें।
📌 जानवर जीवित है तो वैक्सीन जरूरी है?
हां। अगर काटने वाला जानवर पालतू, वैक्सीनेटेड और 10 दिन बाद भी जीवित है तो वैक्सीन बंद की जा सकती है। लेकिन पहले दिन ही वैक्सीन जरूर शुरू करें। बाद में स्थिति देखकर डॉक्टर निर्णय ले सकते हैं।
रेबीज – मौत नहीं, जागरूकता की कमी है
रेबीज एक ऐसा रोग है जो 100% जानलेवा तो है, लेकिन 100% रोका भी जा सकता है। जरूरत है सिर्फ समय पर सही जानकारी, सावधानी और डर नहीं, इलाज पर भरोसा।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत को रेबीज मुक्त किया जाए। आइए हम सभी मिलकर जागरूक बनें, और इस अभियान का हिस्सा बनें।
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