
“संजय कपूर की मौत रहस्य: करिश्मा कपूर के एक्स हसबैंड की मौत पर मां रानी कपूर ने उठाए सवाल
प्रस्तावना: एक चौंकाने वाली चुप्पी टूटी है…
12 जून 2025 की दोपहर इंग्लैंड के एक पोलो मैदान में एक आवाज गूंजी – “He’s down!”
सभी खिलाड़ियों की निगाहें मैदान के बीच में गिरे एक खिलाड़ी पर जा टिकीं। यह खिलाड़ी और कोई नहीं बल्कि बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा कपूर के पूर्व पति, और बिजनेस टाइकून संजय कपूर थे।
संजय कपूर पोलो गेम खेल रहे थे, तभी उनके मुंह में एक मधुमक्खी घुस गई और उसने गले में डंक मार दिया। इससे उनकी सांस की नली में सूजन और तकलीफ हुई। तुरंत मेडिकल सहायता दी गई, लेकिन कुछ ही मिनटों में उन्हें हार्ट अटैक (कार्डियक अरेस्ट) आ गया, जिससे उनकी मौत हो गई
डॉक्टर्स और रिपोर्ट्स के अनुसार, मधुमक्खी के डंक से एलर्जिक रिएक्शन (Anaphylactic Shock) हुआ, जिससे शरीर की हार्ट प्रणाली अचानक फेल हो गई और कार्डियक अरेस्ट आ गया। ऐसे मामले रेयर हैं, लेकिन मेडिकल साइंस में दर्ज हैं
हालांकि, संजय कपूर की मां रानी कपूर ने उनकी मौत को ‘नेचुरल’ न मान कर इसे संदिग्ध बताया है और इसकी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि संजय की मौत में कुछ और रहस्य छिपे हो सकते हैं, और निधन के पीछे पारिवारिक/कॉरपोरेट विवाद के भी कयास लगाए जा रहे हैं
एक माँ की पुकार: रानी कपूर की भावनात्मक चिट्ठी
भारत की जानी-मानी इंडस्ट्रियलिस्ट रानी कपूर, संजय की मां और सोना कॉमस्टार ग्रुप की मुखिया, अब सवाल उठा रही हैं कि क्या यह सचमुच एक दुर्घटना थी या किसी ने जानबूझकर कुछ किया?
रानी कपूर ने अपनी चिट्ठी में तीन अहम बातें लिखी हैं:
1. संजय की मौत संदिग्ध है।
2. कंपनी की AGM (वार्षिक आम बैठक) रद्द की जाए।
3. मुझे बेटे की मौत से जुड़े दस्तावेज तक नहीं दिए गए।
उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि कुछ कागज़ों पर उनसे जबरन हस्ताक्षर कराए गए और उन्हें बेटे की विरासत से जुड़ी जानकारी से वंचित किया जा रहा है।
पोलो मैदान से श्मशान तक: संजय कपूर की अंतिम यात्रा
संजय कपूर 53 साल के थे। वो इंग्लैंड में पोलो खेलने गए थे… अपना पसंदीदा खेल। खेल के दौरान अचानक गिर गए और कभी नहीं उठ पाए।
उनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया।
जब उनके अंतिम संस्कार की चिता जली, तब वहां मौजूद थे—
• उनकी पूर्व पत्नी करिश्मा कपूर
• बच्चे
• करीना कपूर खान
• सैफ़ अली खान
• और बिजनेस वर्ल्ड के कई नामचीन लोग।
सबकी आंखें नम थीं, लेकिन अब जब रानी कपूर ने चुप्पी तोड़ी है, तब एक सवाल हर आंख में है… क्या यह सिर्फ एक एक्सिडेंट था या इसके पीछे कोई गहरी साज़िश है?
साज़िश की संभावनाएं और कंपनी की राजनीति
रानी कपूर की इस चिट्ठी का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा यह है कि उन्होंने संकेत दिए हैं:
“संजय से गलत तरीके से कागज़ों पर साइन करवाए गए होंगे।”
वो यह भी कह रही हैं कि संजय की मृत्यु के बाद, कॉमस्टार कंपनी की मैनेजमेंट टीम ने उन्हें जरूरी कागज़ात दिखाने से मना कर दिया। यहाँ तक कि उन्हें बेटे की मौत का कोई ऑफिशियल डॉक्युमेंटेशन तक नहीं दिया गया।
ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है:
• क्या संजय कपूर की मौत एक कॉर्पोरेट साज़िश का हिस्सा थी?
• क्या उनकी मौत के बाद किसी ने कंपनी की बागडोर हथियाने की कोशिश की?
कानूनी मोर्चा: वकील वैभव गग्गर की पुष्टि
रानी कपूर की ओर से वकील वैभव गग्गर ने मीडिया को बताया:
“रानी कपूर जी गहरे सदमे में हैं। संजय उनके इकलौते पुत्र थे। लेकिन उनकी मौत के बाद जो घटनाएं घटीं, उनसे उनके मन में गहरी शंका है। अब वह इस मौत की न्यायिक जांच चाहती हैं।”
गग्गर का यह भी कहना है कि कंपनी का AGM ऐसे समय में रखना बेहद असंवेदनशील और अनैतिक है।
मीडिया की भूमिका और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर यह मामला अब तूल पकड़ रहा है।
लोग सवाल कर रहे हैं:
• अगर यह सिर्फ एक हादसा था तो परिवार को क्लियरेंस डॉक्युमेंट क्यों नहीं दिए गए?
• AGM की इतनी जल्दबाज़ी क्यों?
• क्या इस परिवार के भीतर चल रही विरासत की लड़ाई के संकेत हैं?
रानी कपूर की चिट्ठी ने संजय कपूर की मौत को सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी से निकालकर, एक संभावित आर्थिक और पारिवारिक षड्यंत्र में बदल दिया है।
निष्कर्ष: क्या यह कहानी अब जांच की माँग करती है?
संजय कपूर की मृत्यु ने एक मां से उसका बेटा, बच्चों से उनका पिता और एक परिवार से उसका वारिस छीन लिया।
लेकिन अब जब खुद मां कह रही हैं कि “मौत प्राकृतिक नहीं थी,” तो सवाल उठता है—
क्या हमें इस केस की गहराई में नहीं जाना चाहिए?
क्या सेबी और अन्य नियामक संस्थाएं इस मामले की स्वतंत्र जांच नहीं कराएं?
और सबसे बड़ा सवाल—अगर कोई साज़िश थी, तो किसने रची?
इस पूरी कहानी में जो सबसे गूंजता हुआ स्वर है, वह है एक मां का टूटा हुआ दिल और उसकी न्याय की पुकार।
अंतिम पंक्तियाँ:
संजय कपूर की कहानी अब केवल एक दुर्घटना नहीं रह गई है। यह कहानी बन चुकी है विश्वास और विश्वासघात के बीच की एक पतली रेखा की,
जहाँ एक माँ अकेली खड़ी है, अपने बेटे की मौत का सच खोजने के लिए। और जब तक इस मौत का पूरा सच सामने नहीं आ जाता, तब तक यह कहानी अधूरी है।