
इन्दिरा गांधी और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के साथ प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की “प्रीस्ट किंग” मूर्ति – इतिहास और राजनीति का एक दुर्लभ संगम। PC: AI
शुरुआती झलक: एक अद्भुत इतिहास जो छुपा रहा है खुद में राज
क्या आप जानते हैं कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जब विश्व मंच पर शिमला समझौता हुआ था, तो केवल जमीन या युद्ध बंदियों का ही नहीं, बल्कि सिंधु घाटी सभ्यता की एक ऐतिहासिक और बहुमूल्य मूर्ति “प्रीस्ट किंग” की भी अदला-बदली हुई थी?
यह घटना हमारे राजनैतिक और सांस्कृतिक इतिहास का वही पन्ना है जिसे न इतिहास की किताबों में जगह मिली, न ही सार्वजनिक चर्चा में।
कुछ बातें ऐसी हैं जो सूखी जानकारियों से कहीं आगे जाकर दिल को छूती हैं। इनमें भावनाओं और रहस्य का मेल है। प्रीस्ट किंग मूर्ति का सौदा ऐसा ही एक किस्सा है।
शिमला समझौते की बुनियाद और प्रमुख तथ्य
1971 युद्ध: जीत, बंदी और राजनीतिक मोड़
• 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध ने उपमहाद्वीप की दिशा बदल दी। भारत की निर्णायक विजय के बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ और 93,000 पाकिस्तानी सैनिक बंदी बना लिए गए।
• 2 जुलाई 1972 को हिमाचल प्रदेश के राजभवन में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच ऐतिहासिक शिमला समझौता हुआ।
• इस समझौते के तहत युद्ध बंदियों को छोड़ना, जीती हुई जमीन वापस करना और द्विपक्षीय संबंध सुधारने के लिए कई प्रावधान हुए।
प्रीस्ट किंग की मूर्ति: सिर्फ़ कला नहीं, एक देश की पहचान
• मोहनजोदड़ो की खुदाई (1927) में मिली प्रीस्ट किंग की मूर्ति सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे प्रतिष्ठित धरोहरों में से एक है।
• यह मूर्ति 17.5 सेमी ऊँची है और स्टीटाइट, यानी सोपस्टोन से बनी है।
• लंबे समय तक दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय में इसका स्थान रहा और इसे भारत की ऐतिहासिक संपदा माना जाता था।
डील और डिप्लोमेसी
• शिमला समझौते के दौरान भुट्टो ने भारत से दो ऐतिहासिक मूर्तियों प्रीस्ट किंग और डांसिंग गर्ल की मांग की।
• इंदिरा गांधी ने कूटनीतिक चतुराई दिखाते हुए केवल एक मूर्ति देने को कहा।
• आखिरकार भुट्टो ने प्रीस्ट किंग को चुना और भारत ने इसे पाकिस्तान को सौंप दिया।
वजह क्या थी?
• इसके पीछे कई तर्क दिए जाते हैं जैसे- राजनीतिक समझदारी, संवेदनशीलता, या रिश्तों की मरम्मत की ललक।
• जानकार कहते हैं, इतनी महत्वपूर्ण चीज़ देने का पुराना रिकॉर्ड न मिलना “देश की छुपी सच्चाई” है जो आज भी चर्चा का विषय है।
मूर्ति की वर्तमान स्थिति: रहस्य, सुरक्षा और अफवाहें
• आज यह मूर्ति कराची के राष्ट्रीय संग्रहालय की शोभा मानी जाती है।
• बताया जाता है कि असली मूर्ति आम लोगों की नजरों से दूर है और उसका रेप्लिका ही एक्सहिबिट में रखा गया है।
• ऐसा क्यों? वजह है सुरक्षा, ऐतिहासिक मूल्य और अनमोल धरोहर की रक्षा।
• बढ़ती अफवाहें और सोशल मीडिया चर्चाएं बार-बार सवाल उठाती है। क्या असली प्रीस्ट किंग मूर्ति कहीं गुम हो गई है?
भारतीय इतिहास में मौन: क्यों छुपी रह गई इतनी बड़ी डील?
राजनीतिक चुप्पी और जनता का सवाल
• भारतीय इतिहास की किताबों में इस प्रतिमा की अदला-बदली का कहीं उल्लेख नहीं मिलता।
• पाकिस्तानी स्रोत तो बार-बार इस कहानी का जिक्र करते हैं, भारतीय मीडिया और सरकार न जाने क्यों मौन हैं।
• क्या यही वजह है कि जनता को सच पता नहीं चल पाया? क्या यह कूटनीतिक शर्मिंदगी है या सरकारी लापरवाही?
सवाल, भावनाएं और विश्लेषण: क्या खोया, क्या पाया?
• इतिहास में ऐसे सौदे कम ही हुए हैं जहाँ युद्ध जीतने के बावजूद विजेता देश ने न केवल बंदी बल्कि ऐतिहासिक धरोहर भी हार गए देश को लौटा दी।
• यह घटना भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक गर्व को गहरे सवालों से घेरती है।
• क्या अब समय नहीं है कि सरकार और राष्ट्रीय संग्रहालय इस पर आधिकारिक स्पष्टीकरण दें?
• क्या जनता को यह अधिकार नहीं कि वह अपनी विरासत के रहस्य और सौदेबाज़ी की सच्चाई जाने?
निष्कर्ष: इतिहास की परछाई में छुपा साजिशनामा
सच्चाई यह है कि 1972 के शिमला समझौते के तहत प्रीस्ट किंग मूर्ति भारत से पाकिस्तान को सौंपी गई थी। आज इस कहानी में रहस्य के तत्व, कूटनीतिक चालें, और सरकार की चुप्पी सब कुछ शामिल हैं। हमारे लिए जरूरी है कि इतिहास को पारदर्शी और सार्वजनिक बनाया जाए। ऐसी घटनाएं न सिर्फ सवाल खड़े करती हैं, बल्कि देश की ऐतिहासिक समझ बढ़ाने का मौका भी देती हैं।आम जनता को हक है कि सच जाने, सरकार से जवाब मांगे और अपनी धरोहर पर गर्व करे, चाहे वह अब देश में हो या बाहर।
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FAQ (People Also Ask)
Q1. शिमला समझौता क्या है और कब हुआ था?
A1. यह भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हुआ शांति समझौता है, जिसमें युद्ध बंदियों की वापसी, जीती ज़मीन की अदला-बदली और द्विपक्षीय संबंध सुधार पर ज़ोर दिया गया।
Q2. प्रीस्ट किंग मूर्ति क्या है और कहां है?
A2. यह सिंधु घाटी सभ्यता की प्रसिद्ध मूर्ति है, जो मोहनजोदड़ो से मिली थी। अब यह कराची राष्ट्रीय संग्रहालय, पाकिस्तान में रखी है।
Q3. क्या मूर्ति सच में भारत ने पाकिस्तान को दी थी?
A3. हाँ, 1972 के शिमला समझौते के तहत प्रीस्ट किंग मूर्ति भारत ने पाकिस्तान को सौंप दी थी, हालांकि भारतीय इतिहास की किताबों में इसका उल्लेख नहीं मिलता।
Q4. डांसिंग गर्ल मूर्ति कहां है?
A4. डांसिंग गर्ल मूर्ति अभी भी भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में रखी हुई है।
Q5. असली प्रीस्ट किंग मूर्ति क्या कराची म्यूजियम में है?
A5. रिपोर्ट्स के अनुसार असली मूर्ति कराची राष्ट्रीय संग्रहालय में है, मगर प्रदर्शन में उसका रेप्लिका रखा जाता है।
यह लेख भारत के इतिहास के उस बंद दरवाज़े की कुंजी है जिसे खोलना आज वक्त की मांग है। सच्चाई पूछिए, जानिए, और शेयर कीजिए!