
17 जुलाई 1969 को जन्मे रवि किशन आज 56 साल के हो चुके हैं। एक ऐसा नाम जो भोजपुरी से लेकर बॉलीवुड और वेब सीरीज़ तक में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हालिया हिट फिल्म “लापता लेडीज़” में उनका शानदार अभिनय सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि गहरी तैयारी, शरीर पर असर डालने वाली मेहनत और आत्मा से जुड़े अभिनय का नतीजा था?
इस कहानी में है चवन्नी के पान की खुशबू, च्विंग गम की चबन, एक विलेन का असीम आकर्षण, और अभिनय की ऐसी तड़प जिसे सिर्फ एक सच्चा कलाकार ही महसूस कर सकता है। साथ ही बात करेंगे नेटफ्लिक्स की सीरीज़ “मामला लीगल है” की, जिसने रवि किशन को एक अलग परिप्रेक्ष्य में दर्शकों के सामने रखा।
‘लापता लेडीज़’ में रवि किशन: जब हर निगाह उस ‘इंस्पेक्टर’ पर जा ठहरी
“लापता लेडीज़” में रवि किशन ने जो किरदार निभाया, एक चालाक, पान खाता हुआ, झूठ और सच के बीच झूलता पुलिस इंस्पेक्टर, वो किसी आम अभिनेता के बस की बात नहीं थी। आमिर खान इस रोल के लिए ऑडिशन तक दे चुके थे, लेकिन किरण राव ने रवि किशन को चुना। और वाह! क्या ही सही फैसला था!
फिल्म की शुरुआत में तो यह किरदार एकदम ठेठ पुलिसिया अंदाज़ में सामने आता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, दर्शक उसके अंदर के इंसान को देखने लगते हैं। रवि किशन ने अपने चेहरे की हर रेखा, आँखों की हर हरकत, और संवादों की हर बारीकी से उस किरदार में जान डाल दी।
पान का आइडिया: अभिनय में स्वाद और बारीकी की कहानी
शुरुआत में निर्देशक किरण राव चाहती थीं कि यह किरदार समोसा खाने का शौकीन हो। लेकिन रवि किशन ने एक सुझाव दिया: “किरण जी, समोसा नहीं… पान होना चाहिए।”
ये सिर्फ स्वाद का बदलाव नहीं था, ये किरदार की आत्मा को गढ़ने वाला फैसला था।
• रवि किशन ने इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्होंने फिल्म की शूटिंग के दौरान इतना पान खा लिया कि उन्हें चिंता होने लगी, कहीं इसकी लत न लग जाए।
• लेकिन उन्होंने सिर्फ पान नहीं खाया, उस किरदार की परछाई में घुल-मिल गए।
पान बन गया उस किरदार का एक्स्टेंशन, हर डायलॉग के साथ जब पान की लाली उनके होंठों पर दिखाई देती, तब दर्शक समझ पाते कि वो आदमी सिर्फ बात नहीं करता, उसका हर शब्द रस में डूबा हुआ होता है।
जब स्टूडियो में चबाया गया च्विंग गम… डबिंग की बेमिसाल मेहनत
हालांकि “लापता लेडीज़” को सिंक साउंड टेक्नोलॉजी से शूट किया गया था, लेकिन कुछ डायलॉग्स की डबिंग बाद में करनी पड़ी। रवि किशन ने बताया कि उन डायलॉग्स की असली भावनाओं को बरकरार रखने के लिए उन्हें स्टूडियो में च्विंग गम चबाते हुए डबिंग करनी पड़ी।
• ये कोई आरामदायक काम नहीं था।
• लेकिन जब एक अभिनेता अपने किरदार को इतनी गंभीरता से लेता है, तो वह हर मुमकिन तरीका अपनाता है ताकि पर्दे पर जादू बिखेरा जा सके।
यह एक महान अभिनेता के समर्पण का उदाहरण है।
‘मामला लीगल है’: जब रवि किशन का करिश्मा OTT पर बिखरा
जिस दिन लापता लेडीज़ रिलीज़ हुई, ठीक उसी दिन नेटफ्लिक्स पर रवि किशन की सीरीज़ “मामला लीगल है” भी आई। हालाँकि ये सीरीज़ बहुत ज़्यादा हिट नहीं हुई, लेकिन रवि किशन के अभिनय ने फिर भी अपनी छाप छोड़ी।
• दर्शकों को एक ऐसा रवि किशन देखने को मिला जो अभिनय में नए रंग तलाश रहा था।
• सीरीज़ का अंत इस अंदाज़ में हुआ कि दर्शक खुद-ब-खुद सोचने लगे: “क्या इसका दूसरा सीज़न आएगा?”
रवि किशन: अभिनेता से आइकन बनने की यात्रा
भोजपुरी सिनेमा से शुरू होकर आज वे हिंदी फिल्म उद्योग और राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम बन चुके हैं।
उनका जन्म 17 जुलाई 1969 को मुंबई में हुआ था, लेकिन उनकी जड़ें उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से जुड़ी हैं। अभिनय उनके लिए सिर्फ करियर नहीं, एक जीवंत साधना है।
निष्कर्ष: अभिनय जब जीवन बन जाए, तब जन्म लेते हैं रवि किशन
“लापता लेडीज़” का किरदार हो या “मामला लीगल है” का वकील, रवि किशन हर बार साबित करते हैं कि वो सिर्फ अभिनेता नहीं हैं, बल्कि अपने हर किरदार के भीतर जीने वाले कलाकार हैं।
आज उनके 56वें जन्मदिन पर, हम सिर्फ उन्हें बधाई नहीं दे रहे। हम उनके समर्पण, उनके विचारों, उनकी रचनात्मकता और उस मिट्टी को सलाम कर रहे हैं जिसने एक अभिनेता को भारतीय सिनेमा का अमिट चेहरा बना दिया।
जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं रवि किशन जी को! आप यूं ही भारतीय सिनेमा में अपनी चमक बिखेरते रहें।