
इज़रायल और ईरान: आज दुश्मन, कभी थे बेहद करीबी दोस्त। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इज़रायल आज भी ईरान के पुराने शाह रेज़ा पहलवी के बेटे का खुलकर समर्थन करता है? आखिर ऐसा क्यों? इसके पीछे छिपी है एक दिलचस्प और रणनीतिक इतिहास की कहानी, जो आज के पश्चिम एशिया की राजनीति को भी गहराई से प्रभावित करती है।
🌍 पुराने रिश्तों की नींव: जब ईरान और इज़रायल थे रणनीतिक साझेदार
पहले विश्व युद्ध के बाद, ब्रिटेन ने ईरान के तेल संसाधनों पर नियंत्रण पाने के लिए एक नया शासक तलाशा। इस योजना के तहत 1921 में एक फौजी अधिकारी रेज़ा खान को सत्ता में लाया गया, जो बाद में शाह रेज़ा पहलवी कहलाए। यही पहलवी वंश आज इज़रायल की उम्मीदों का केंद्र है।
1953 में, जब लोकतांत्रिक प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसद्देग ने ईरान की तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया, तो अमेरिका और ब्रिटेन को खतरा महसूस हुआ। उन्होंने मिलकर मोसद्देग की सरकार गिराई और शाह की सत्ता को फिर से मज़बूत किया।
इस समय से ईरान और इज़रायल के बीच गहरे लेकिन गुप्त रिश्तों की शुरुआत हुई। यह वो दौर था जब दोनों देश एक-दूसरे के लिए रणनीतिक और खुफिया सहयोगी बन चुके थे।
🔍 मोसाद और SAVAK: एक अजीब लेकिन शक्तिशाली गठबंधन
• इज़रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को ईरान में पूरी छूट मिली हुई थी।
• मोसाद ने शाह की खुफिया पुलिस SAVAK को ट्रेनिंग दी — जो बाद में बदनाम भी हुई।
• ईरान इज़रायल के एजेंटों को अपने देश से इराक और अन्य देशों में जासूसी के लिए मदद देता था।
🔬 Project Flower और परमाणु सहयोग
इज़रायल और ईरान ने मिलकर Project Flower जैसे गुप्त रक्षा प्रोजेक्ट शुरू किए।
• इसमें मिसाइल और परमाणु तकनीक का साझा विकास शामिल था।
• शाह खुद भी परमाणु हथियार बनाना चाहता था।
• साथ ही, ईरान इज़रायल को तेल की आपूर्ति भी कर रहा था।
यह गठबंधन इतना मज़बूत था कि अमेरिका और ब्रिटेन ने इन दोनों के साथ मिलकर “Trident Network” नामक एक खुफिया गठबंधन खड़ा कर लिया।
🔄 1979 की क्रांति और रिश्तों का अंत
इस्लामी क्रांति के बाद 1979 में ईरान पूरी तरह बदल गया।
• शाह को देश छोड़ना पड़ा।
• नई इस्लामी सरकार ने पश्चिम और इज़रायल से सारे संबंध तोड़ दिए।
• इज़रायल, जो कभी ईरान का सबसे करीबी साझेदार था, अब सबसे बड़ा दुश्मन बन गया।
🤝 आज क्यों इज़रायल फिर चाहता है पहलवी परिवार की वापसी?
अब सवाल उठता है:
इज़रायल आज के ईरान को लोकतांत्रिक या उदार क्यों नहीं मानता? और क्यों वह रेज़ा शाह के बेटे रेज़ा पहलवी का समर्थन करता है?
जवाब सीधा है:
• इज़रायल को लगता है कि पहलवी परिवार की वापसी से वह पुराना भरोसेमंद साझेदार फिर से मिल सकता है।
• यह परिवार पश्चिमी सोच वाला है, इज़रायल का विरोधी नहीं।
• इज़रायल को उम्मीद है कि अगर सत्ता परिवर्तन हुआ, तो ईरान में स्थिरता और उसके लिए रणनीतिक सहयोग दोनों मिलेंगे।
यह सिर्फ इतिहास नहीं, भविष्य की योजना है
इज़रायल का रेज़ा पहलवी को समर्थन देना महज भावनात्मक फैसला नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक चाल है।
• मध्य एशिया में इज़रायल को ऐसे सहयोगियों की जरूरत है जो कट्टरपंथी न हों।
• पहलवी वंश के साथ पुराना अनुभव और भरोसा जुड़ा है।
• शायद इसी उम्मीद में इज़रायल आज भी शाह की विरासत को भविष्य की कुंजी मान रहा है।
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